प्राचीन काल से भाई दूज भाईचारे की भावना को व्यक्त करने वाली एक प्रिय परंपरा रही है। बहनें इस दिन अपने भाइयों की लंबी उम्र की खुशी और सफलता के लिए प्रार्थना करती हैं। बहनें इस शुभ उत्सव के हिस्से के रूप में अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र, जिसे “कलावा” भी कहा जाता है, बांधती हैं और उनके माथे पर “टीका” लगाती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को प्यार से उपहार देते हैं।
हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को लोग हर्षोल्लास के साथ भाई दूज मनाते हैं। यम द्वितीया के नाम से जाना जाने वाला यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है और पूरे देश में बड़े धूमधाम और धूमधाम से मनाया जाता है। प्यार से, बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु और कल्याण की कामना करने के लिए उनकी कलाई के चारों ओर रक्षा सूत्र या “कलावा” बांधने और उनके माथे पर निशान लगाने की रस्म निभाती हैं। भाई सोच-समझकर उपहार देकर एक-दूसरे के स्नेह का प्रतिदान करते हैं।
शुभ मुहूर्त
भाई दूज की तारीख को लेकर अक्सर असमंजस की स्थिति बनी रहती है. ज्योतिषियों का कहना है कि सनातन धर्म में उदया तिथि का बहुत महत्व है। इस प्रकार, उदया तिथि पर त्योहार मनाना सौभाग्यशाली माना जाता है। यदि आप निश्चित नहीं हैं कि भाई दूज कब पड़ेगा, तो अनुष्ठान और पूजा के लिए शुभ समय का ध्यान रखना उचित है।पंचांग में बताया गया है कि 14 नवंबर को दोपहर 02:36 बजे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसके बाद द्वितीया तिथि आती है, जो 14 नवंबर को दोपहर 02:36 बजे शुरू होती है और 15 नवंबर को दोपहर 01:47 बजे समाप्त होती है। परंपरागत रूप से, यह उत्सव दिन के दौरान आयोजित किया जाता है। परिणामस्वरूप, बहनें 14 नवंबर को दोपहर से अपने भाइयों के माथे पर “कलावा” बांधकर और “तिलक” लगाकर अनुष्ठान कर सकती हैं। सभी बातों पर विचार करने पर, 14 नवंबर और 15 नवंबर को भाई दूज मनाना सुविधाजनक है। दोपहर 01:47 बजे तक.
टीके का शुभ समय
भाई दूज पर दोपहर 01:10 से 03:19 बजे तक का समय अनुष्ठान के लिए शुभ है। इस दौरान बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना कर सकती हैं। इसके अलावा, आज यम द्वितीया है, जो इस मिथक पर आधारित उत्सव है कि भगवान यम कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन अपनी बहन यमुना के निवास पर आये थे।
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